सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जोसेफ ने कहा- हैरान हूं! जिन्होंने कभी साहस दिखाया, उन्होंने ही न्यायपालिका की आजादी से समझौता कर लिया

पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई के राज्यसभा में नामांकन पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ ने हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि वे हैरान हैं कि जिस सीजेआई ने कभी न्यायपालिका की निष्पक्षता और आजादी के लिए ऐसा साहस दिखाया था, उन्होंने ही आजादी के सिद्धांत से समझौता कर लिया।


लोगों का विश्वास हिला, नई धारणाएं बनीं- जस्टिस जोसेफ
जस्टिस कुरियन ने कहा कि राज्यसभा नॉमिनेशन स्वीकार करके पूर्व सीजेआई ने न्यायपालिका की आजादी पर आम आदमी के यकीन को हिला दिया है और यह आजादी ही भारत के संविधान के मूल में हैं। उन्होंने कहा कि इस घटना से लोगों के बीच ऐसी धारणा बन रही है कि न्यायपालिका में मौजूद न्यायाधीशों का एक धड़ा या तो निष्पक्ष नहीं रह गया है, या फिर भविष्य की योजनाओं पर काम कर रहा है। जिस मजबूत बुनियाद पर देश का ढांचा खड़ा किया गया है, वह हिल गया है।


रिटायरमेंट के बाद कोई पद ग्रहण नहीं करने का फैसला लिया था- जस्टिस जोसेफ
जस्टिस कुरियन ने पूर्व सीजेआई गोगोई द्वारा 12 जनवरी 2018 को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘तब रंजन गोगोई ने न्यायपालिका की आजादी की बात करते हुए कहा था कि हम देश का कर्ज उतार रहे हैं। मैं हैरान हूं कि जिसने तब ऐसा साहस दिखाया था, उसी ने आज न्यायपालिका के मूल सिद्धांत से समझौता कर लिया।’’



जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा, ‘‘मैं आज लोगों के सामने आया हूं, क्योंकि देश की बुनियाद को खतरा है और यह बड़ा खतरा है। यही वजह है कि मैंने रिटायरमेंट के बाद कोई भी पद नहीं ग्रहण करने का फैसला किया था।’’


बाद में बताऊंगा, राज्यसभा सदस्यता क्यों स्वीकार की- गोगोई
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नामित किया। मंगलवार को जस्टिस गोगोई ने इस मामले पर मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, ‘‘संभवतः कल मैं दिल्ली जाऊंगा। पहले मुझे शपथ ले लेने दीजिए। इसके बाद मैं मीडिया से विस्तार में बात करूंगा कि आखिर क्यों मैंने राज्यसभा जाने का प्रस्ताव स्वीकार किया है।’’


12 जनवरी 2018 को की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने 12 जनवरी 2018 को जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस मदन बी लोकुर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। यह पहली बार था, जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने इस तरह से लोगों के बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस की हो। कई मुद्दों को लेकर उन्होंने तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर सवाल उठाया था और केसों के बंटवारे को लेकर भी सवाल उठाया था। उन्होंने तब कहा था कि न्यायापालिका की आजादी खतरे में है।