पाली के ढोला गांव निवासी माधोसिंह बिजनेस यात्रा पर दुबई में कोरोना संक्रमित हो गए थे। इनका जोधपुर में इलाज चल रहा है। अब दो बार इनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। अब वे अस्पताल से छुट्टी मिलने का इंतजार कर रहे है। उन्होंने बताया कि करोना के खिलाफ उन्होंने यह जंग इलाज करने वाले डॉक्टरों व हौसले के दम पर जीती है।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैं जोधपुर के डॉक्टरों व अन्य स्टॉफ को धन्यवाद देना चाहता हूं जो कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे है। एक अपील लोगों से भी करना चाहता हूं कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से कोरोना को लेकर गलत जानकारी व अफवाह न फैलाए। गत 12 दिन से मेरा यहां इलाज चल रहा है और मुझे एक दिन भी डर नहीं लगा। वास्तव में डर तो उस दिन लगा जब लोगों ने सोशल मीडिया पर मेरी मौत की अफवाह फैला दी। मुझे भय सता रहा था कि कहीं ये सुनकर मेरे परिजनों को कुछ हो न जाए। क्योकि घर पर बुढ़े माता-पिता, पत्नी व चार बच्चे बैठे थे। लेकिन मुझे ऊपर वाले और धरती पर भगवान कहलाने वाले डॉक्टरों पर पूरा भरोसा था कि ये मुश्किल हालात से भी मुझे बाहर निकाल कर ले आएंगे। मैं भी पूरी सकारात्मक सोच के साथ डॉक्टरों को सहयोग कर रहा था। रोज सुबह पूजा-पाठ के अलावा योगा करता हूं। साथ ही परिजनों से वीडियो कॉल के जरिये काफी देर बात कर उनको हिम्मत बंधाता रहता हूं। इस बीमारी से लड़ने के लिए पत्नी और बच्चों का बहुत सपोर्ट मिला। पत्नी रोजाना फोन कर हौसला बढ़ाती रहती है और यही कहती की सब ठीक होगा। हमेशा ये पूछना नहीं भूलती कि अस्पताल से छुट्टी कब मिलेगी। यहां रहते हुए मुझे अनुभव हुआ कि घबराना बिलकुल नहीं चाहिये। अन्यथा दूसरी बीमारियां भी हो सकती है। जब पॉजिटिव से दो बार जांच रिपोर्ट निगेटिव आई तो मन प्रसन्न हो गया।
ऐसे हुए कोरोना संक्रमित
रेडिमेड गारमेंट का बिजनेस करने वाले माधोसिंह ने बताया कि वे 13 मार्च को खरीदारी करने दुबई गए थे। 18 मार्च को मुबई से ट्रेन के जरिये पाली जिले के अपने गांव ढोला के लिए रवाना हुआ। 19 को सुबह यहां पहुंचते ही बुखार आ गया। ट्रेन से उतरते ही मैने डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने गोलियां लिख दी। घर पहुंचने पर बुखार बढ़ गया। ऐसे में मुझे महसूस हुआ कि कुछ गड़बड़ है। ऐसे में मैने स्वयं को परिजनों से दूर कर लिया। इसके बाद मैं रानी गांव में डॉक्टर को दिखाने गया। उन्होंने ट्रेवल हिस्ट्री पूछी और साफ कहा कि जोधपुर जाकर इलाज कराओ। मैं अपनी बाइक लेकर उसी समय जोधपुर के लिए रवाना हो गया। कीरवा में डॉ. जितेन्द्र सिंह का फोन आया। उन्होंने लोकेशन पूछी और कहा कि जहां हो वहीं खड़े रहो। थोड़ी देर में एक एम्बुलेंस आई और मुझे पाली ले जाया गया। वहां से दो दिन बाद जोधपुर रैफर कर दिया गया।